विश्र्वस्वरूपं, जगदीशरूपं, धर्मेकयूपं यतिवर्गभूपम्।
वेदार्थसारं, त्रयतापहारं श्री मस्तनाथ सततं नमामि।।
सिद्ध शिरोमणि श्री बाबा मस्तनाथ जी महाराज की तपस्थली रूपी पावन प्रांगण में मेरे दादा गुरु योगिराज श्रीयुत् महन्त श्रेयोनाथ जी शिक्षा के क्षेत्र में लगाए गए एक मात्र पौधे को मेरे पूज्य गुरूदेव महन्त श्री चाँदनाथ जी महाराज ने अपनी कड़ी मेहनत, लगन एवं कर्मठता से एक वट वृक्ष का रूप दिया अर्थात् एक विधालय बनाया । मेरे पूज्य गुरूदेव के द्वारा बताए गए रास्ते पर चलते हुए मैं इस विद्यालय को उन्नति के सर्वोत्तम शिखर पर ले जाने के भरसक प्रयत्न करूंगा I
मैं इस विधालय में शिक्षा एवं नैतिकता के संगम को सुदृढ़ करने हेतु वे सभी सम्भव कदम उठाने में अपना दिन रात एक कर परोपकार एवं आधुनिकीकरण से सम्बन्धित कुछ ऐसे विशिष्ट कार्य करूंगा ताकि इससे जुड़ा हुआ हर कर्मचारी, विधार्थी एवं समाज इससे जुड़ने में अपनी आन-बान एवं शान समझे। क्योंकि मेरे पूज्य गुरूदेव कहा करते थे कि समाज को शिक्षित करने में अपना अहम योगदान देने से बड़ी कोई तपस्या नहीं। इसीलिए वे कहते थे कि -
"Education breeds Confidence
Confidence breeds Hope
Hope breeds Peace
Peace breeds Positivity
Positivity breeds feelings to do something good for others.
And to do good for others is the greatest enjoyment in life.".
वैसे भी संन्तो का अपना कुछ नहीं होता वे तो केवल मात्रा समाज के उत्थान के लिए जन्म लेते हैं और समाज की भलाई के लिए मर मिटते हैं। विद्यालय के अध्यक्ष होने के नाते मैं यहीं सन्देश देना चाहता हूँ कि विद्यालय का हर व्यक्ति अपने काम में दिल और जान से जुट जाए। विधार्थी पढ़ने में, शिक्षक पढ़ाने में, कर्मचारी एवं अधिकारी अपने कर्तव्य को ठीक से निर्वाह करने में। देखना फिर वह दिन दूर नहीं होगा, जिस दिन यह विद्यालय अपने सपनों का विद्यालय होगा और अन्त में सबको आशीर्वाद देता हूँ कि-
"सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भागभवेत्।"
महन्त बालकनाथ योगी
(अध्यक्ष)